भोपाल के बगरोदा में 6 महीने पहले दिल्ली एनसीबी ने जिस ड्रग फैक्ट्री में छापा मारा और 1834 करोड़ का ड्रग पकड़ा वहां कुख्यात ड्रग तस्कर शोएब लाला स्वयं माल लेने आया करता था। 20-20 किलो ड्रग बोरियों में भरकर पैक किया जाता फिर बॉक्स में रख दिया जाता था। माल कीमती होने के चलते शोएब किसी पर भरोसा नहीं करता था। वह स्वयं साथी हरीश आंजना के साथ ट्रक और कार लेकर डिलीवरी लेने आता था। माल कहां और किसी खपाया जाता था उसके अलावा किसी को नहीं पता होता था।
आपस में संपर्क रखने के लिए केवल वॉट्सऐप कॉल का इस्तेमाल करता था। हर बार नए नंबर से कॉल करता था। जिन सिम का इस्तेमाल वह करता था, सभी फर्जी होती थीं। एमडी तैयार करने वाले सान्याल बाने को भी उसने एक सिम दे रखी थी। यह सिम भी फर्जी दस्तावेजों पर उठाई गई थी। सान्याल को ड्रग तैयार करने के एवज में शोएब दो लाख रुपए महीने की सैलरी देता था। लेकिन छापे के 6 महीने बाद भी पुलिस के हाथ खाली है। आरोपी कुख्यात ड्रग तस्कर शोएब लाला पुलिस के पकड़ से बाहर है।
अमित चतुर्वेदी ने एनसीबी को दिए बयानों में क्या खुलासा किया
अमित चतुर्वेदी के एनसीबी अभिरक्षा के दौरान बयान दर्ज किए गए। जिसमें बताया की उसके मित्र चेतन सक्सेना है जो भोपाल का ही निवासी है। जिसके माध्यम से अमित चतुर्वेदी की हरीश आंजना से मुलाकात हुई फिर हरीश ने अमित को शोएब लाला से इंदौर में मिलवाया। इंदौर में शोएब लाला जो की देवल जी जिला प्रतापगढ़ का रहने वाला है, ने बताया की सान्याल बाने अवैध मेफा ड्रोन बनाने में माहिर है। इसके लिए शोएब के कहने पर अमित चतुर्वेदी ने F-63, बगरोदा इंडस्ट्रियल क्षेत्र में एक खाली पड़ी हुई फैक्ट्री जो की एस.के सिंह नाम के व्यक्ति की थी से किराए पर लिया। जिसका कोई भी एग्रीमेंट नही बनाया गया था।
ड्रग बनाने हवाला के माध्यम से मिलता था पैसा
शोएब लाला केवल वॉट्सऐप पर ही बात करता था। ताकि कोई सबूत ना रहे। शोएब लाला तकनीकी रूप से दक्ष है एवं बहुत तेज है। उसके द्वारा ही इस पूरी फैक्ट्री के लिए लगने वाला पैसा लगाया गया है। सान्याल और उसके साथ अमित को जो भी पैसा मिलता था वह पूरा हवाला के माध्यम से ही मिलता था। हर बार शोएब लाला द्वारा अलग नंबर का उपयोग किया जाता था। सान्याल बाने द्वारा उक्त फैक्ट्री में अवैध मेफा ड्रोन बनाने के बाद एक-एक किग्रा के पैकेट बनाकर उनपर टेपिंग करके फिर एक प्लास्टिक के बोर में 20 किग्रा के 20 पैकेट रखकर उसको पैक किया जाता था।
आराम करने फैक्ट्री के पास लिया था फ्लैट
अमित ने अपने बयानों में बताया कि फैक्ट्री में तैयार ड्रग शोएब लाला और हरीश लेकर चले जाते थे। कई बार ट्रक और कार से आते थे और कहां लेकर जाते थे इसकी कोई जानकारी अमित चतुर्वेदी को नहीं रहती थी। एनसीबी अधिकारी के पूछने पर अमित ने बताया की शोएब खान पठान के कहने पर एक फ्लैट D-503, देवधर स्प्रिंग वैली, कटारा हिल्स, जिला भोपाल में 15 हजार रूपए के किराए पर लिया था। यह फ्लैट मालिक सौरभ श्रीवास्तव से एक दलाल आशीष गर्ग के द्वारा किराये पर लिया गया। फैक्ट्री पर काम करने के बाद आराम करने के लिए इस फ्लैट का इस्तेमाल किया जाता था।
करोड़ों रुपए की खरीद फरोख्त के दस्तावेज मिले
अमित चतुर्वेदी के घर की तलाशी के दौरान एनसीबी को दस्तावेज मिले। जिसमे मेफा ड्रोन बनाने संबंधी केमिकल एवं उपकरणों की खरीद-फरोख्त कागजात मिले। जिसके बारे में पूछने पर अमित चतुर्वेदी ने बताया कि उसका फार्मासिस्ट का काम रहता था। जिसकी आड़ में अवैध मेफा ड्रोन बनाने प्रयोग आने वाले केमिकल एवं उपकरण की खरीदी अमित चतुर्वेदी के द्वारा उक्त फैक्ट्री हेतु की गयी थी। जिसका लेन-देन अमित चतुर्वेदी द्वारा किया जाता था।