रायपुर । छोटे से गांव टेमरी में पले-बढ़े भोजराज साहू ने बचपन से ही आसमान में उड़ते हवाई जहाजों को देखा और महसूस किया कि ऊँचाई पर उड़ने का सपना सिर्फ मशीनों का नहीं, इंसानों का भी हो सकता है। एक ऐसे परिवार से आने वाले भोजराज के लिए यह सपना देखना जितना आसान था, उसे पूरा करना उतना ही कठिन लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। संघर्ष, मेहनत और सही दिशा में प्रयासों से उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि इच्छाशक्ति के आगे कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं होती।
बचपन से श्री साहू के मन में भी ऊंची उड़ान भरने का सपना पनप रहा था। इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने लंबे समय तक विभिन्न क्षेत्रों में कड़ी मेहनत की और साथ ही अपने लिए एक स्थायी रोजगार की संभावनाएं भी तलाशते रहे।
भोजराज की लगन और मेहनत को देखते हुए उन्हीं के गांव में रहने वाले एक शुभचिंतक ने उन्हें फ्लाई ऐश ब्रिक्स का काम शुरू करने की सलाह दी। श्री साहू ने पैसों के अभाव में असमर्थता जताते हुए उनसे कहा कि मेरे पास उतने पैसे नहीं है कि मैं फ्लाई ऐश ब्रिक्स की सेटअप तैयार कर सकूं, इसमें लाखों रूपए लग जाएंगे। इतने में उन्होंने कहा कि आप जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र जाइए, वहां आपको उद्योग स्थापित करने की जानकारी के साथ सहयोग भी मिल जाएगा।
भोजराज साहू अपने मित्र की सलाह पर जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र पहुंचे, जहां उन्हें प्रबंधक द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम की जानकारी के साथ पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया गया। श्री साहू बताते है कि बैंक की सारी प्रक्रिया पूरी उन्हें पहली किस्त के रूप में 15.35 लाख रूपए प्राप्त हुए और उन्होंने फ्लाई ऐश ब्रिक्स की फैक्ट्री का संचालन शुरू कर दिया। समय-समय पर उन्हें ब्याज अनुदान मिला जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता गया और इसी क्रम में उन्हें उद्योग विभाग के सहयोग से 22.50 लाख रूपए का दूसरा लोन लिया।
श्री साहू बताते है कि उन्हें सफलता मिली और अपने सेटअप का विस्तार करने के दिशा में उन्होंने तीसरे लोन के आवेदन किया और उन्हें 50 लाख रूपए का लोन मिला। उनका कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र में अब मैं आत्मनिर्भर हो चुका हूं और अपने गांव एवं आसपास के लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने में सक्षम बन गया हूं। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए मुझे सरकार से काफी सहयोग मिला, मैं राज्य सरकार को इसके लिए धन्यवाद देता हूं।