भोपाल: बेहतर जीवन स्तर और आकर्षक सैलरी पैकेज की बढ़ती चाह के चलते बड़ी संख्या में भारतीय छात्र विदेश जा रहे हैं। 12वीं के बाद दूसरे देशों से ग्रेजुएट करने वाले छात्रों का यह आंकड़ा भोपाल में पिछले पांच वर्षों में चार गुना हो गया है। एब्रोड एजुकेशन के इस बदलते ट्रेंड से पहले अधिकतर छात्र सिर्फ पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए विदेश जाते थे, लेकिन अब स्कूल एजुकेशन पूरी होने के तुरंत बाद बेहतर भविष्य की संभावनाओं के लिए विकसित देशों का रुख किया जा रहा है।
अमेरिका में पढ़ाई सबसे महंगी
सभी देशों की तुलना में अमेरिका की पढ़ाई सबसे महंगी है। ओवरसीज एजुकेशन कंसल्टेंट मणि मिश्रा के अनुसार यूएस में ग्रेजुएशन कोर्स के लिए एक करोड़ रुपये तक खर्च किए जाते हैं। वहीं पोस्ट ग्रेजुएशन 50 से 60 लाख रुपये में होती है। यूके में पढ़ाई का खर्च चार गुना तक कम हो जाता है। साथ ही कनाडा और आस्ट्रेलिया में भी अमेरिका की तुलना में आधे से कम खर्च आता है।
विभिन्न देशों के अनुसार प्रचलित कोर्स
अमेरिका- डेटा साइंस, इंजीनियरिंग एवं अन्य तकनीकी कोर्स
यूके- इकोनॉमिक्स, लिटरेचर एवं आर्ट सहित अन्य थ्योरी कोर्स
कैनडा- मैनेजमेंट, आईटी एवं तकनीकी कोर्स
रुस- मेडिकल कोर्स
आस्ट्रेलिया- आर्किटेक्चर, नर्सिंग तथा आटोमोटिव कोर्स
ग्रेजुएशन के लिए विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या
पांच वर्ष पूर्व- 2500 (लगभग)वर्तमान में- 10 हजार (लगभग)
पोस्ट ग्रेजुएट के लिए विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या- पांच वर्ष पूर्व- 8 हजार (लगभग)वर्तमान- 12 हजार
12वीं के बाद विदेश जाकर पढ़ाई करने में आइसीएसई बोर्ड के छात्र अव्वल
छात्रों के विदेश में पढ़ाई करने का मुख्य कारण पैरेंट्स का माइंडसेट भी है, वे बच्चों को शुरुआत से ही आईसीएसई (इंडियन सर्टिफिकेट आफ सेकेंडरी एजुकेशन) के स्कूलों में प्रवेश करवाते हैं, ताकि बच्चे अंतराराष्ट्रीय स्तर की पढ़ाई से परिचित हो सकें। आईसीएसई बोर्ड में पढ़ाई प्रैक्टिकल तरीके से की जाती है। जबकि सीबीएसई में थ्योरी ज्यादा होती है। अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में भी पढ़ाई प्रैक्टिकल रुप से ही की जाती है। इससे छात्रों को विदेशी पढ़ाई को समझने में आसानी होती है। आईसीएसई बोर्ड के करीब 60 तो वहीं सीबीएसई बोर्ड के लगभग 40 प्रतिशत छात्र भोपाल से विदेश जाकर पढ़ाई करते हैं।