नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने शराब के ब्रांडों द्वारा फर्जी विज्ञापनों (Surrogate Advertising) के कई मामले सामने आने के बाद, कंपनियों को विज्ञापन नियमों का उल्लंघन न करने के लिए आदेश दिया है। सीसीपीए ने कंपनियों से पिछले तीन सालों में शराब के साथ बेचे जाने वाले अन्य उत्पादों (जिनको ब्रांड एक्सटेंशन कहते हैं) की लिस्ट देने को कहा है। साथ ही सीसीपीए ने पिछले तीन सालों में शराब और ब्रांड एक्सटेंशन उत्पादों (मिनरल वॉटर, ताश के पत्ते, म्यूजिक सीडी) की बिक्री से जुड़ा हुआ रेवेन्यू और टर्नओवर डाटा भी मांगा है। इसके अलावा सीसीपीए पिछले तीन सालों में हुए ब्रांड एक्सटेंशन के प्रमोशन पर हुए खर्च का विवरण भी मांग रहा है, जिसमें इवेंट स्पॉन्सरशिप, अवॉर्ड सेरेमनी, म्यूजिक फेस्टिवल, सेलिब्रिटी और सोशल मीडिया प्रभावितों को किए गए पेमेंट और टीवी विज्ञापन शामिल हैं।
जारी किए ये निर्देश
सीसीपीए के चीफ कमिश्नर रोहित कुमार सिंह ने जारी किए गए निर्देश में कहा, "यह जांच करना महत्वपूर्ण है कि ब्रांड एक्सटेंशन उत्पादों की वास्तविक बिक्री और उनके प्रचार पर खर्च किए गए धन के बीच कोई संबंध है या नहीं। यह आकलन यह निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि क्या ब्रांड एक्सटेंशन उत्पादों का प्रचार वास्तव में विस्तारित उत्पाद को दर्शाता है या शराब के विज्ञापन के विकल्प के रूप में काम करता है।"
शराब के विज्ञापन पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं, जिसके चलते कंपनियां अपने उत्पादों को बेचने के लिए फर्जी विज्ञापन का सहारा लेती हैं। सीसीपीए का यह आदेश आईपीएल के लॉन्च होने के कुछ दिन पहले आया है, जब इस तरह के विज्ञापन अक्सर प्रसारित किए जाते हैं और सोशल मीडिया पर भी चलाए जाते हैं।
उपभोक्ता अधिकारों के लिए खतरा
दो-पन्ने के निर्देश में कहा गया है कि, " उद्योग को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी जाती है कि सभी ब्रांड एक्सटेंशन विज्ञापन केवल वास्तविक विस्तार को ही दिखाए (अर्थात विज्ञापन पर होने वाले खर्च का अनुपात बिक्री और वितरण के अनुपात में होना चाहिए), और यह सुनिश्चित करें कि विज्ञापनों में प्रतिबंधित श्रेणी के किसी भी तरह के संकेत न हों, जैसे कि टैगलाइन और लेआउट, और विज्ञापित किए जा रहे एक्सटेंशन के कैटेगरी के नाम को दबाया न जाए।" इसने यह भी कहा कि फर्जी विज्ञापन उपभोक्ता अधिकारों के लिए खतरा हैं।