नई दिल्ली: अश्विन पाटिल और चैतन्य कोरगाओंकर बचपन के दोस्त हैं। वे महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के अमरावती जिले से हैं। 2018 में दोनों ने 'बायोफ्यूल्स जंक्शन' की शुरुआत की। यह कंपनी उद्योगों में डीजल और कोयले की जगह साफ ईंधन इस्तेमाल करने के लिए काम कर रही है। वे कृषि कचरे को इको-फ्रेंडली पैलेट्स में बदलते हैं। इससे प्रदूषण कम होता है। किसानों को फायदा होता है। पर्यावरण भी बेहतर होता है। यह स्टार्टअप शुरू से ही फायदे में है। वित्त वर्ष 2022-23 तक केवल 5 सालों में इसका टर्नओवर 66.5 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था। कंपनी भविष्य में अपना कारोबार बढ़ाना चाहती है। आइए, यहां अश्विन पाटिल और चैतन्य कोरगाओंकर की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।अलग-अलग सेक्टर का अनुभव
अश्विन पाटिल अमरावती जिले से ताल्लुक रखते हैं। उनका परिवार पीढ़ियों से खेती करता आ रहा है। उन्होंने मुंबई के वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (VJTI) से प्रोडक्शन इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने पुणे के पास और आंध्र प्रदेश में कुछ सालों तक अप्लायंस इंडस्ट्री में काम किया। फिर उन्होंने एमबीए किया और लगभग 18 साल तक इक्विटी इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में काम किया। चैतन्य कोरगाओंकर आश्विन के 2000 से करीबी पारिवारिक दोस्त हैं। उन्होंने सरकारी बैंकिंग, रणनीति और लायजनिंग में विशेषज्ञता के साथ कई कंपनियों के साथ काम किया है।
2018 में रखी बायोफ्यूल्स जंक्शन की नींव
साल 2018 में अश्विन पाटिल और चैतन्य कोरगाओंकर ने बायोफ्यूल्स जंक्शन की नींव रखी थी। बायोफ्यूल्स जंक्शन कृषि कचरे को उपयोगी ईंधन में बदलती है। इससे किसानों को अपनी फसल के बाद बचे कचरे को ठिकाने लगाने का एक अच्छा तरीका मिल जाता है। यह कचरा पहले बेकार माना जाता था। कंपनी का नेटवर्क बहुत बड़ा है। 450 बायोफ्यूल मैन्युफैक्चरर्स एक साथ मिलकर काम करते हैं। इससे कंपनी को कचरा इकट्ठा करने और उसे ईंधन में बदलने में आसानी होती है।
ग्राहकों की लिस्ट में बड़े-बड़े नाम
बायोफ्यूल्स जंक्शन का दावा है कि उसका बायोफ्यूल सस्ता है। कंपनी के बड़े-बड़े ग्राहक हैं। इनमें हिंदुस्तान यूनिलीवर और रिलायंस जैसी कंपनियां शामिल हैं। बायोफ्यूल्स जंक्शन शुरू से फायदे में चल रही है। वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी का कारोबार 66.5 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था। बायोफ्यूल्स जंक्शन के 450 बायोफ्यूल मैन्युफैक्चरर्स कचरे के स्रोतों के 30-40 किलोमीटर के दायरे में हैं। इससे काम तेजी से होता है। स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है। कंपनी का दावा है कि उसके बायोफ्यूल आयातित कोयले से 10% सस्ते हैं।
इस सेक्टर को चुनने की यह थी वजह
अश्विन और चैतन्य ने बायोफ्यूल पर शोध करते हुए महसूस किया कि कोई भी बड़ा या पैन-इंडिया खिलाड़ी सेक्टर में नहीं था। इसके अलावा, डिमांड और सप्लाई में तीन प्रमुख कारणों से अंतर था - क्वालिटी, सप्लाई स्टेबिलिटी और प्रोडक्टों का कम्प्लायंस। अश्विन ने क्लास 12 तक अपने गृहनगर में कृषि पद्धतियां देखी थीं। चैतन्य और वह अपना कुछ काम करना चाहते थे। अपनी नौकरियों में व्यस्त रहते हुए उन्होंने 2016-17 में व्यावसायिक अवसरों की तलाश शुरू कर दी। अंत में उन्हें सफलता मिली।