भारत सरकार ने सिंध प्रांत सहित विभिन्न नगरों से लांग टर्म वीजा के आधार पर भोपाल एवं इंदौर में आकर बसे सिंधी हिंदू परिवारों के लिए नागरिकता नियम आसान कर दिए थे। जिला कलेक्टरों को आइबी की रिपोर्ट के आधार पर नागरिकता देने के अधिकार दिए गए थे। नए नियम लागू होने के बाद भोपाल के 150 से अधिक लोगों को नागरिकता मिल गई थी। उस समय नागरिकता के लिए यह जरूरी था कि यहां आए लोग कम से कम नौ साल से भारत में रह रहे हों। सीएए लागू होने के बाद समय अवधि की शर्त में छूट दी गई है, इससे लंबित मामलों में तत्काल नागरिकता मिलने की संभावना है।
इंदौर में भोपाल से अधिक प्रकरण
सिंधी सेंट्रल पंचायत भोपाल के संरक्षक एवं मप्र विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव इसरानी के अनुसार सिंध से भोपाल आकर बसे अधिकांश लोगों को नागरिकता मिल चुकी है। कुछ प्रकरण ही लंबित हैं। सीएए से नागरिकता की राह आसान होगी। इसरानी के अनुसार सीएए लागू होने से पाकिस्तान में प्रताड़ित हिंदुओं, सिखों आदि गैर-मुस्लिम परिवारों की भारत आने की इच्छा पूरी हो सकती है। भारत सरकार का यह कदम सराहनीय है।
नागरिकता संशोधन कानून के माध्यम से हमें नागरिकता मिलने की संभावना बढ़ी है। हमारा परिवार पाक के जैकबाबाद में रहता था। मैं एक साल से भोपाल में हूं। कठिन नियमों के कारण मामला लंबित था। अब उम्मीद है कि परिवार के सभी सात सदस्यों को नागरिकता मिलेगी।
- नंदलाल चावला, भोपाल में बसे विस्थापित
भोपाल के कई परिवारों को नागरिकता मिल चुकी है। जटिल नियमों के कारण कुछ लोगों की नागरिकता लंबित है। सीएए लागू होने से जल्द नागरिकता मिलने की उम्मीद है। भारत सरकार के इस कदम से सिंध से यहां आने की चाह रखने वालों को भी आसानी से नागरिकता मिलेगी।
- विकास तलरेजा, विस्थापित परिवार के सदस्य