ट्रांसजेंडर बोले- नेता वादे करते हैं, पूरे कभी नहीं करते : नरेंद्र मोदी कर रहे काम, हमारा वोट उन्हीं को

Updated on 29-04-2024 12:37 PM

सुरैया ने चुनाव को लेकर अपनी ख़्वाहिश बताते हुए कहा कि किन्नर समाज के अंदर महापौर और विधायक भी रह चुके हैं। मैं भी चुनाव लड़ चुकी हूं, और आगे भी लड़ सकती हूं। अगर कोई पार्टी समर्थन दे तो फिर से मैदान में आ सकती हूं। इसके अलावा उन्होंने चुनाव के समय नेताओं के वादों को लेकर कहा कि वह कभी पूरे नहीं होते वह सिर्फ चुनावी वादे होते हैं।

एनजीओ खा जाते हैं किन्नर के हक की मदद

सुरैया ने बातचीत एनजीओ (नॉन गर्वमेंट आर्गनाइजेशन) पर गंभीर आरोप लगाए हैं, उन्होंने बताया- हमें फिलहाल सरकार से कोई मदद नहीं चाहिए। हमारे लिए जो मदद आती है वह सभी एनजीओ के पास चली जाती है। किसी भी किन्नर तक एक रुपए की मदद सरकार की नहीं पहुंचती है। सारी मदद एनजीओ को ही चली जाती है। इसलिए हम तो यही कहते हैं कि हमें सरकार से कोई मदद नहीं चाहिए। हमने तो और उल्टा लॉकडाउन में पिछड़ों और गरीबों की मदद की।

हमारे कोई मुद्दे नहीं, हमें बस अपने अनुसार जीने दिया जाए

सुरैया ने चुनाव के समय में मुद्दों के बारे में बात करते हुए कहा कि हमारे कोई मुद्दे नहीं हैं। हम तो बस सरकारों से यही चाहते हैं कि हमें बस अपने अनुसार जीने दिया जाए। अगर कोई किन्नर दो पांच रुपए मांग रहा है तो उसे मांगने दिया जाए, हम ना तो नौकरी करना चाहते हैं और ना काम। वैसे भी हम पढ़े लिखे हैं नहीं तो हम क्या कर सकते हैं।

बोर्ड के गठन पर बोलीं हर किसी को नहीं दी जाए पॉवर

सुरैया ने बताया कि किन्नर बोर्ड गठन जरूरी है, मगर इसमें भी मेरा यह कहना है कि जब भी इस बोर्ड का गठन हो तो इसमें चलते फिरते किसी को भी पॉवर नहीं देनी चाहिए। जो मुखिया है उसे ही मिलना चाहिए, ऐसा नहीं कि चलते फिरते किसी को भी इसमें शामिल किया जाए।

किसी पार्टी या सरकारों से शिकायत के जवाब में सुरैया ने कहा- हमें कभी किसी पार्टी या सरकारों से शिकायत नहीं है। हम भी चाहते हैं कि पार्लियामेंट में हमारा भी प्रतिनिधित्व हो। क्योंकि हम भी देश के नागरिक हैं।

मध्य प्रदेश में भी ट्रांसजेंडर बोर्ड का हो गठन: संजना सिंह
एक अन्य ट्रांसजेंडर संजना सिंह ने बताया कि हम चाहते हैं कि ट्रांसजेंडर बोर्ड (किन्नर कल्याण बोर्ड) का गठन होना चाहिए, इसका गठन होते ही किन्नरों से जुड़ी सभी तरह की समस्याओं का समाधान खुद ही होगा। वहीं चुनावों में जागरूकता को लेकर उन्होंने कहा कि हम अपेक्षित वर्ग हैं। लंबे समय से भेदभाव का दंश झेल रहे थे, मगर अब हम बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा लेते हैं, और लोगों को जागरूक करते हैं। यह बहुत अच्छा लगता है।

जो हमारे लिए खड़े हैं उनको ध्यान में रखकर करेंगे वोट

संजना ने बताया कि जो लोग हमारे लिए खड़े हैं बस यही बात ध्यान में रखकर हम वोट करने जाएंगे। हम यह भी देखेंगे कि वह लोग समाज कल्याण के लिए क्या कर रहे हैं, या कर चुके हैं। वे कितने सक्रिय हैं यह देखना भी जरूर होगा। अब किन्नरों में भी मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ी है। वे भी इसमें अब बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। क्योंकि हम भी भारत के नागरिक हैं वोट हमारा अधिकार है, वोट करने से ही एक मजबूत लोकतंत्र बनता है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिलाई पहचान

संजना ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने देश में हमें एक अलग पहचान दिलवाई है। साल 2019 में ट्रांसजेंडर के पक्ष में जो फैसला आया है। यानी जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने तीसरे लिंग के रूप में सेल्फ आइडेंटिटी या पहचान दी है। यही वजह से कि हम अब मतदान में भी आगे आ रहे हैं और समाज को भी प्रेरित कर रहे हैं।

हमें भी मिलें दोनों जेंडर की तरह लाभ
संजना ने बताया कि हम चाहते हैं कि हमें भी महिलाओं और पुरुषों की तरह कई योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। क्योंकि सरकारें कई तरह की योजनाएं पुरुष और महिलाओं के लिए लाती हैं, हम चाहते हैं कि सरकार हमारे लिए भी इस तरह हमें भी हर सुविधा का लाभ मिले। क्योंकि हम भी समाज के कई क्षेत्रों में सक्रिय हैं।

हमार वोट नरेंद्र मोदी को: नेहा

इस कार्यक्रम में शामिल होने आई ट्रांसजेंडर नेहा ने बताया कि चुनाव के दिन बहुत उत्साहित रहते हैं, उस दिन कोई और काम नहीं करते हैं। यह हमारे लिए एक त्यौहार की तरह है। वहीं वोट देने जाएंगे तो किस बात को ध्यान में रखकर वोट देंगे इसके जवाब में नेहा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। मेरा पहला वोट तो उन्हीं को जाएगा।

नेता वादे करते हैं लेकिन लौटकर नहीं आते

नेहा ने बताया कि जब चुनाव आते हैं तो कई उम्मीदवार हमसे कई तरह के वादे करते हैं मगर जब चुनाव खत्म हो जाता है तो वह लौटकर नहीं आते हैं। हम चाहते हैं कि दोनों जेंडर्स की तरह हमारे लिए भी योजनाएं बनानी जानी चाहिए। मगर ऐसा होता नहीं है। बस हमारा सिर्फ वोट डालने का अधिकार, फिर उसके बाद हमारी फाइल बंद हो जाती हैं। सरकारें कभी कुछ नहीं करती हैं हम तो बस इतना ही चाहते हैं कि जैसे हम जीते आए हैं हमें बस वैसे जीने दिया जाए, वह अधिकार कभी हमसे छीना ना जाए।



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