- अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)भारतीय लोकतंत्र के महापर्व के तहत 18वीं लोकसभा चुनावों के परिणामों में अब कुछ ही दिन शेष हैं। 4 जून को ईवीएम में बंद पार्टियों की किस्मत का फैसला हो जाएगा। जहां एक तरफ बीजेपी से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 370 सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी इंडिया गठबंधन की सरकार बनने का आश्वासन दे रहे हैं। हालांकि, जमीनी परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि बीजेपी एक बार फिर सत्ता संभालने के लिए तैयार है। मेरा अनुमान है कि बीजेपी इस बार 2014 की 282 और 2019 की 303 सीटों के बीच 294 सीटें जीतकर सरकार बनाने में सफल हो सकती है। सीटों का यह आंकड़ा कुछ राजनीतिक जानकारों को चौंका सकता है। इसके अलावा मोदी 3.0 में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। मेरा मानना है कि पीएम मोदी की अगुवाई में बीजेपी शासन में इस बार पढ़े-लिखे, तेज-तर्रार और युवाओं में लोकप्रिय नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की पूरी संभावना है। इन नेताओं में तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख अन्नामलाई, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल, स्वर्गीय सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज, महाराष्ट्र की अमरावती सीट से लोकप्रिय व चर्चित नेत्री नवनीत कौर राणा और ओवैसी के खिलाफ अपनी दावेदारी पेश कर रहीं माधवी लता के नाम प्रमुख हैं।
हालांकि लगभग सभी परिस्थितियां बीजेपी के पक्ष में होने के बावजूद पीएम मोदी का तीसरा कार्यकाल चुनौतीपूर्ण होगा। सबसे बड़ी और अहम चुनौती खुद उनकी 75 वर्ष की आयु होगी, जिसका अलिखित फरमान खुद उनकी ही पार्टी द्वारा घोषित किया गया है। भले पार्टी के दृष्टिकोण से देश को मोदी की अगुवाई की जरुरत हो लेकिन खुद पीएम मोदी के लिए अपने ही बनाए नियम को ताक पर रखकर, पद पर बने रहने का बोझ होगा। दूसरा, लगातार नए चेहरों को आगे बढ़ाने और विरोधी दलों के बागियों को जरुरी कमान सौंपे जाने का विषय, पार्टी में बगावत के सुर तेज करेगा। यह दो ऐसी प्रमुख चुनौतियाँ होंगी, जिससे पार पाना बीजेपी और पीएम मोदी, दोनों के लिए सबसे कठिन साबित होगा।