यानी छिंदवाड़ा जैसे शहर में विकास की गति को तो नकारा नहीं जा सकता। अब चुनाव में सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये काम किसका है? शहर में युवा एकसुर में पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा कहते हैं तो 50 साल से ऊपर के लोग इसे कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल कहते हैं। छिंदवाड़ा में जिस तरह से भाजपा दिग्गज जोर लगा रहे, उससे ये राज्य की सबसे हॉट सीट बन गई है। फिर भी यहां हर भाजपाई चाहता है कि चुनाव मोदी बनाम नकुलनाथ (कांग्रेस प्रत्याशी) हो, वहीं हर कांग्रेसी चाहता है कि मुकाबला कमलनाथ बनाम विवेक बंटी साहू (भाजपा प्रत्याशी) हो।
छिंदवाड़ा शहर में 2 घंटे घूमने के बाद भी कांग्रेस का काेई झंडा नहीं दिखा। रामनाम और भाजपा के झंडों से शहर ढंका है। शहर से बाहर निकले तो गांव के रास्ते भी शहर जैसे ही हैं, पर वहां कमलनाथ के समर्थन में बोलने वाले ज्यादा हैं। ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में कांग्रेस के झंडे दिखने शुरू हो जाते हैं। खासकर जुन्नारदेव, अमरवाड़ा, चौरई, हर्रई में कांग्रेस का अच्छा समर्थन दिखा। आश्चर्यजनक ये भी कि ऐसे भी कुछ लोग मिले जो न नकुलनाथ को जानते हैं, न कांग्रेस को, वे बस कमलनाथ और हाथ के निशान की बात करते हैं।
ऐसे लोगों की संख्या तो काफी अधिक है, जो बंटी साहू का नाम नहीं जानते, पर मोदी और भाजपा को जिताने का संकल्प लेकर बैठे हैं। बातचीत में भाजपाई भी कहते हैं कि जो थोड़ा समर्थन है, वह कांग्रेस का गोंडवाना में ही है। भाजपा उम्मीदवार पर कांग्रेसी कई आरोप लगाते हैं। वे कहते हैं- बंटी-बबली के किस्से कौन नहीं जानता? आप बंटी के बारे में पूछेंगे तो लोग खुद ही आपको बबली की जानकारी भी दे देंगे।
2018 व 2023 में सभी 7 विस सीटें कांग्रेस जीती
वर्ष 2018 और 2023 दोनों विधानसभा चुनावों में भाजपा को छिंदवाड़ा जिले में एक भी सीट नसीब नहीं हुई। कांग्रेस यहां की सभी 7 सीटों लगातार दोबारा जीतने में कामयाब रही। वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने छिंदवाड़ा की 4 अमरवाड़ा, सौंसर, परासिया और पाठुर्ना सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 3 जुन्नारदेव, छिंदवाड़ा और चौराई सीटें जीती थीं।
2008 में भाजपा ने छिंदवाड़ा की 6 और गोंगपा ने एक सीट जीती थी। जबकि कांग्रेस का सूपड़ा साफ था। 2003 में भाजपा की उमा लहर में छिंदवाड़ा लोकसभा की सभी 8 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी, कांग्रेस सभी सीटें हार गई थी। उस दौरान दमुआ विधानसभा सीट थी जिसका विलय जुन्नारदेव में हो गया।
नकुल से कांग्रेसी नाराज, पर कमलनाथ से गिला नहीं
कांग्रेस में ऐसे कई लोग हैं, जो कमलनाथ से खुश हैं, पर नकुल से नहीं। उनका कहना है कि 40 साल में कमलनाथ ने जो बोया, नकुल उसे ठीक से काटते भी तो उन्हें 20 साल तक राजनीति में कोई नहीं हिला सकता था। शिकारपुर (कमलनाथ का बंगला) के प्रति लोगों की श्रद्धा कम हुई, उसके पीछे बड़ा कारण नकुल ही हैं। हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आए दीपक सक्सेना का कहना है कि नकुल ने जानबूझकर कमलनाथ के खास लोगों को टार्गेट किया। नकुल का कहना है कि मैं कमलनाथ की परंपरा को आगे बढ़ा रहा हूं।
बंटी साहू से भी खफा भाजपा का एक धड़ा
भाजपा में भी एक बड़ा वर्ग है, जो भाजपा प्रत्याशी विवेक बंटी साहू से नाराज है। इनमें पूर्व विधायक व 3 बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके चौधरी चंद्रभान सिंह समेत कई नाम हैं। हालांकि जब चंद्रभान से पूछा तो उनका जवाब था- भाजपा वैचारिक संगठन है। यहां व्यक्तिगत समर्थक नहीं होता। हमारी चौथी पीढ़ी राजनीति में है। तब से काम कर रहे, जब भाजपा का झंडा उठाने वाला कोई नहीं था। वहीं, बंटी साहू का कहना है कि दीपक सक्सेना, विक्रम अहाके, कमलेश शाह का नकुल ने अपमान किया।