नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को व्यथित करने वाला शर्मनाक विवाद

Updated on 29-07-2022 07:01 PM
कृष्णमोहन झा

यह निःसंदेह दुर्भाग्यपूर्ण है कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के मात्र एक सप्ताह के अंदर ही एक ऐसा अप्रिय विवाद शुरू हो गया जिसने  नवनिर्वाचित राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू को भी स्वाभाविक रूप से व्यथित कर दिया होगा। इस विवाद की शुरुआत लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति शब्द के स्थान पर राष्ट्रपत्नी शब्द के प्रयोग से हुई। दरअसल अधीर रंजन चौधरी ने एक दिन पहले सोनिया गांधी से ईडी  की पूछताछ के बारे में एक निजी चैनल के रिपोर्टर से बातचीत के दौरान राष्ट्रपति के स्थान पर ' राष्ट्रपत्नी 'शब्द का प्रयोग किया था और यह शब्द उन्होंने दो बार प्रयुक्त किया। चैनल के रिपोर्टर ने उनसे कहा था कि वर्तमान राष्ट्रपति यद्यपि महिला हैं परंतु उनके  लिए राष्ट्रपति शब्द का प्रयोग ही करना उचित होगा क्योंकि यह पदनाम है परंतु अधीर रंजन ने रिपोर्टर की बात अनसुनी कर दी। 

इसके बाद केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने अधीर रंजन द्वारा प्रयुक्त शब्द' राष्ट्रपत्नी ' कांग्रेस पार्टी की दलित और महिला विरोधी मानसिकता का परिचायक बताते हुए केवल अधीर रंजन चौधरी ही नहीं अपितु कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से भी माफी मांगने की मांग की। विवाद बढ़ने पर अधीर रंजन चौधरी ने सफाई में कहा कि उन्होंने नवनिर्वाचित महिला महिला राष्ट्रपति के लिए' राष्ट्रपत्नी ' शब्द का प्रयोग जानबूझकर नहीं किया था, यह उनकी जुबान फिसलने के कारण हुआ । अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूं परंतु इस गलती के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगने की भाजपा की मांग पूरी तरह अनुचित है। सोनिया गांधी ने इस मामले में भाजपा द्वारा उनका नाम लिए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अधीर रंजन चौधरी ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है। इसके साथ ही अधीर रंजन चौधरी का यह भी कहना था कि वे अपनी गलती के लिए राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू से मिलकर सीधे उन्हीं से माफी मांगेंगे। संसद के दोनों सदनों में इस पूरे मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ । अंततः सदन की कार्यवाही ही स्थगित करने की नौबत आ गई। 

लोकसभा में केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी पर तीखे प्रहार किए । स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी के बीच तीखी बहस भी हुई। राज्य सभा में केंद्रीय मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने अपने तीखे तेवरों से कांग्रेस पार्टी को  सफाई की मुद्रा में ला दिया। इस पूरे घटनाक्रम के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर यह आरोप लगाया कि लोकसभा में सोनिया गांधी को अपमानित किया गया और उधर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोनिया गांधी पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को धमकी देने का आरोप लगाया। कांग्रेस - भाजपा के बीच जारी आरोप प्रत्यारोप के इस सिलसिले के बीच भाजपा शासित राज्यों के महिला अधिकार आयोगों ने अधीर रंजन चौधरी से राष्ट्र पति के बदले ' राष्ट्रपत्नी ' शब्द के प्रयोग के लिए स्पष्टीकरण भी मांगा है। 

जाहिर सी बात है कि इस समय अधीर रंजन चौधरी के कारण कांग्रेस पार्टी को अपना बचाव करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है और वह मशक्कत भी उसे उसे उस संकट से निकाल पाने में नाकाफी सिद्ध हो रही है जो  लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता ने बैठे डाले खुद आमंत्रित किया है। यहां यह भी स्मरणीय है कि यह पहला मौका नहीं है जब अधीर रंजन चौधरी के कारण पार्टी को असहज स्थिति का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा है । अतीत में भी क ई बार अधीर रंजन चौधरी अपनी टिप्पणियॉ से न केवल खुद को अपितु समूची कांग्रेस पार्टी को मुश्किल में डाल चुके हैं। यह विवाद‌अब इतना आगे बढ़ चुका है कि इसके शीघ्र पटाक्षेप होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। अधीर रंजन चौधरी ने शायद नहीं सोचा था कि वे राष्ट्रपति के बदले राष्ट्रपत्नी बोलकर अपनै पार्टी को न ई मुश्किल में डालने जा रहे हैं।  इसमें दो राय नहीं हो सकती कि अगर वे इस मुद्दे पर भाजपा के हमला वर होने के पहले ही अपनी गल्ती पर खेद‌ व्यक्त करने की आवश्यकता महसूस कर लेते तो शायद भाजपा को कांग्रेस पर हमलावर‌ होने का मौका नहीं मिलता। 

सदन में इस मुद्दे को भाजपा ने जिस तरह जोर शोर से उठाया वैसी स्थिति पिछले आठ सालों में शायद पहली बार दिखाई दी और पहली बार ऐसा हुआ कि सत्ता पक्ष के  हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। 

इस पूरे मामले में अफसोस की बात  यह है कि भाजपा और कांग्रेस, दोनों  ही इस दुर्भाग्यपूर्ण विवाद को आपसी सहमति से सुखद परिणिति के बिंदु तक पहुंचाने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं । भाजपा को कांग्रेस के निशर्त  माफीनामा से कुछ कम मंजूर नहीं है और अधीर रंजन चौधरी अपनी इस बात पर अडे हुए हैं कि वे अपनी गलती के लिए सीधे राष्ट्रपति से माफी मांगेंगे जो सत्ता पक्ष को मंजूर नहीं है। अब दोनों पक्ष इतिहास खंगालने में जुट‌ गए हैं कि कब दूसरे पक्ष के सदस्यों ने अपने विरोधियों के लिए अनुचित और अमर्यादित शब्दों प्रयोग किया। यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि कुछ ही दिनों पहले कांग्रेस ने स्मृति ईरानी की बेटी पर यह आरोप लगाया था कि उनके द्वारा गोवा में संचालित एक रेस्टोरेंट में शराब परोसने के लिए अवैध तरीके से लायसेंस प्राप्त किया गया। कांग्रेस ने यह आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री मोदी से स्मृति ईरानी को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की थी। 

इन आरोपों को निराधार बताते हुए स्मृति ईरानी ने आरोप लगाने वाले तीन कांग्रेस नेताओं को कानूनी नोटिस भेजकर बिना शर्त स्पष्ट माफी की मांग की है । गौरतलब है कि स्मृति ईरानी की बेटी पर कथित तौर पर मिथ्या आरोप लगाने के लिए शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी कांग्रेस नेताओं की आलोचना की थी। स्मृति ईरानी ने कहा है कि अमेठी में जब से उन्होंने राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव में पराजित किया है तभी से कांग्रेस उनकी प्रतिष्ठा धूमिल करने की कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति के लिए' राष्ट्रपत्नी '  संबोधन को घोर आपत्तिजनक बताते हुए  स्मृति ईरानी ने कल संसद में पहली बार अपना रौद्र रूप दिखाया था। जहां तक अधीन रंजन चौधरी के बयानों का प्रश्न है तो ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि उनके किसी बयान से पैदा हुए अप्रिय विवाद ने समूची कांग्रेस पार्टी को मुश्किल में डाला हो। 

अतीत में एक बार उन्हें केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 'निर्बला' कहकर उन पर तंज कसने के लिए भी सदन में माफी मांगनी पड़ी थी। ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है । यह भी माना जा सकता है कि शब्दों के प्रयोग में मर्यादा का उल्लंघन अनेक बार दोनों पक्षों के द्वारा किया गया है परंतु ताजा मामला इसलिए बिल्कुल अलग है क्योंकि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने मात्र एक सप्ताह पूर्व ही देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ ली है । उन्होंने प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है जिसके लिए अनेक विदेशी राष्ट्राध्यक्षों ने भी भारतीय लोकतंत्र की सराहना की है।

यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के प्रथम भाषण की भूरि भूरि प्रशंसा की है । अब सारे विरोध और पूर्वाग्रहों को परे रखकर हमें तो अपने 15 वें राष्ट्रपति से यह प्रेरणा लेना चाहिए कि किस तरह जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए शून्य से शिखर तक का सफर तय किया जा सकता है । अधीर रंजन चौधरी की चाहे जुबान फिसली हो अथवा बंगाली होने के कारण उन्हें हिंदी का पर्याप्त ज्ञान न होने के कारण उन्होंने राष्ट्रपति के लिए अनजाने में ही 'राष्ट्रपत्नी' शब्द का प्रयोग किया हो , इस  विवाद का अविलंब पटाक्षेप  हर भारतवासी की दिली इच्छा है।

(लेखक IFWJ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष है)

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