वैश्विक परिद्रश्य में मानव की दो ही प्रजाति अधिक उल्लेखनीय रही है आर्य और अनार्य। अनेक विद्वानों ने भी अपनी परिभाषा देने में कोई कसर नही छोड़ी है। इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ ब्रिटानिका ने एक सभ्य शिष्ट व शिष्टचार युक्त जाति को आर्य कहा वहीं ईरान एक सिया इस्लामिक देश होने के बाबजूद अपने आपको आर्य कहने पर गौरव महसूस करता है ईरान का पारसी भाषा में अर्थ भी अर्यो का देश है। सारा रुस भी अपने आप को आर्य कहलाना पसंद करता है सबसे बड़ी बात तो यह है कि रूस का ऑर्थोडॉक्स चर्च सबसे प्राचीन चर्च व धर्म मानता है यह अपने को कैथोलिक से भी प्राचीन मानते हैं और अपनी घोषणा भी शुद्ध आर्यों में ही करते हैं। हॉलैंड और जर्मनी का आर्य गौरव बेमिसाल है जो की विश्व में अपना लोहा मानता है। हिटलर का क्रूर और खूनी क्रांति भी इसी सिद्धांत पर आधारित था कि हमें शुद्ध आर्य खून चाहिए इस शुद्ध खून की मांग यह दर्शाता है कि हिटलर के दिमाग में कोई गहरा भाव अपना घर बना चुका था जिसका संबंध धोखा तिरस्कार या आघात पर आधारित रहा होगा इसी संदर्भ में हम भारतीय भी अनेक प्रकार के स्थिति से गुजरे हैं।
राहुल संकृत्यायन ने अपने साहित्य ऋग्वेदिक आर्य भारत के प्राचीन आर्य को आदिम प्रजाति से जोड़कर एक प्रकार का उच्च स्तरीय मांसाहारी व शिकार पर आधारित जीवन जीने वाला प्रजाति सिद्ध किया है। महर्षि दयानंद ने अपने व्यापक बुद्धिमत्ता के आधार जो क्रांति इस देश में की है वह अविस्मरणीय रहेगा वेदों का भाष्य व लेखन के साथ ही साथ आर्य समाज की स्थापना व करोड़ो अनुयायी का बनना भी इस बात को दर्शाता है कि वह एक व्यापक विचारधारा को प्रभावशील बनाने के प्रति संकल्प ग्रहण कर चुके थे। उसका प्रभाव भी दिखा संपूर्ण देश का पिछड़ा वर्ग व दलित वर्ग एवं तत्कालिक उपेक्षित वर्ग भी उनके साथ आकर खड़ा हो गया व साथ में कुछ देर से ही सही लेकिन उनके जीवन के उत्तर काल में कुछ वेदिक विद्वान भी इसी धारा में आ मिले लेकिन वर्णवाद व स्तरीकरण पर विवाद बना ही रहा जिसका चयन आज भी संभव नहीं हो सका इसके अंतर्यात्रा इस देश ने ही और मां भारती के अनेक प्रसूत संतति ने भी इस दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया स्वामी विवेकानंद व उनके संगी साथी संतों ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है विचार को स्पष्ट रूप से रखना व सनातन प्रणाली व आचरण को प्राथमिकता देना स्वामी जी का महत्वपूर्ण अंग था हालांकि स्वामी जी अपने विचार को तर्क के कसौटी पर कसने में सफल रहे थे लेकिन यह तार्किक विचार समसामयिक के साथ ही दूरगामी व धर्म को मुख्य आचरण व धारण करने की व्याख्या को अधिक बल दिया गया जो की धार्मिक संघर्ष समाप्त व वर्गीकरण की समाप्त ना भी हो तो स्तरीकरण के आधार पर किसी की उपेक्षा व तिरस्कार ना हो स्वामी जी के संकल्प के अनुसार मिशन अपने लक्ष्य की और आज भी अग्रसर है। स्वामी जी ने अपने गुरु के प्रति असीम श्रद्धा की अभिव्यक्ति दी है गुरु के नाम से ही संस्था का नाम रामकृष्ण मिशन रखा है लेकिन स्वामी जी आर्य की व्याख्या से बचते रहे शायद स्वामी जी यूरोप की यात्रा से यह सीख ले चुके थे कि यह विषय विभाजित व विवाद से अछूता नहीं रहा रह सकता अब समय की मांग है कि सभी मनुष्य अपनी उद्गम को जानना व समझना चाहता है जाति व धर्म के नाम पर बटवारा खत्म करना चाहता है, अपने पूर्वजों को पहचानना चाहता है व उसी के आधार पर अपना परिचय भी बनाना चाहता है यही कारण है कि जर्मनी और नीदरलैंड जैसे देश में पशु को भी नागरिकता दी जाती है इसकी प्रमुख शर्त यही रहती है कि पशु की वह प्रजाति इन्हीं देशों की होना चाहिए क्योंकि जाति व खून का संबंध भूमि से इतना ही गहरा होता है जितना कि वहां का मूल प्रजाति व धर्म का इस संदर्भ में हिटलर की क्रांति नहीं थी यह एक प्रकार का प्रतिशोध पर आधारित नरसंहार का तरीका व विचार था।
मुझे किसी भी प्रकार का शक नहीं है कि विचार से श्रेष्ठ कुछ भी नहीं है चाहे वह विचार विनाश का हो या फिर सृजन का, संरचना का हो या फिर संरक्षण का सभी प्रकार की स्त्रोत का मूल आधार विचार ही था और आगे भी रहेगा हिटलर अपनी शुद्ध खून का वकालत करने में सफल रहा था लेकिन संकल्पना में कमी थी क्योंकि खून का संबंध चरित्र से होता है जाति से नहीं यह आंदोलन अपने आप में इतिहास में अद्भुत है साथ ही साथ यह जनसंहार वह नरसंहार के अलावा नस्ल भेद भी इस आंदोलन का प्रमुख टारगेट था हिटलर चाहता था अपना आर्य देश जर्मनी लेकिन आर्य प्रजाति परंतु संघर्ष का आधार जातिवाद पर केंद्रित था व्यापार आधार नहीं था इसी कारण आज भी जर्मनी के अनेक नेता व शीर्ष अधिकारी खासकर आज भी महत्वपूर्ण पदों पर यहूदी है क्योंकि जर्मनी का जब यह आंदोलन खत्म हुआ तब अनेक कारण उत्पन्न हो चुके थे इस विवाद को समाप्त करने का पहला कारण यह था कि रूस से टकराने के बाद जर्मन पर कब्जा भी रूस का हो चुका था हिटलर की मौत हो चुकी थी साथ ही जर्मन लोग भी हिटलर के विचार से असहमत ही नजर आ रहे थे बाद में अनेक शोधकर्ता व शोध करने वाले विद्वानों ने यह पाया कि हिटलर के पास एक टीम थी जो की मात्र हाँ में हाँ मिलाने का काम करने में इन्हें महारत हासिल था जो कि यहूदी विरोधी थे व हिटलर के करीब आकर ये लोग मात्र चमचा की भूमिका अदा करना उनका प्रमुख काम था ना ही विचार विमर्श करना, ना ही सूची बनाना और ना ही उसे शोध करना जानकारी खट्टा करना आदि इस प्रकार से यह आंदोलन अपने आप में क्रूरता व निरंकुश्ता का सर्वोच्च उदाहरण है।
लेकिन आर्य की व्यापक परिभाषा हिटलर के पास नहीं रही और ना ही आज बाथ पार्टी के पास यह विचार है जिसका की संबंध आर्य पद्धती व विचार से समझा जा सके। जिससे हम यह कह सकते हैं कि आर्यवाद व मुझे शुद्ध आर्य खून चाहिए जैसे शब्द हिटलर का जुमला रहा होगा जिस जुमले के अंदर आवेश व उन्माद के साथ-साथ ही उच्च स्तरीय शब्द प्रतीत होता है व दिखता है इसी संदर्भ के आलोक में यह प्रश्न उठता है कि आखिरकार आर्यवाद की संरचना संकल्पना व विचार का स्वरूप क्या होगा कैसा होगा व उस प्रकार का स्वरूप कैसा होगा इसका सभी धर्म में बेहतर उपमा और उदाहरण अकूत रूप से भरा पड़ा है | कही अन्य खोजने की व सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है चाहे वह वेद हो पुराण हो कुरान व बाइबल हो या अन्य धर्म ग्रंथ उनमें परस्पर हित व संमजस्य कल्याण के सूक्त हो वे सब आर्य सूक्तियों की के ही श्रेणी में आता है।