जिसके चलते निवेशक हताश और निराश होकर मध्य प्रदेश में निवेश से पीछे हट जाता है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति विंध्य, महाकोशल और बुंदेलखंड की है। यहां निवेश के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है और न ही सरकार का इन क्षेत्रों की ओर ध्यान हैं। जनप्रतिनिधि इस दिशा में पहल करें हैं तो निश्चित ही मध्य प्रदेश में औद्योगिक वातावरण ओर बेहतर होगा।
हालांकि ऐसा भी नहीं है कि प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र में कुछ भी नहीं हुआ हो। प्रदेश में उद्योग मित्र माहौल का ही परिणाम है कि पिछले 10 वर्षों में यहां तीन लाख करोड़ के उद्योग धंधे लगे और दो लाख युवाओं को रोजगार मिला। उद्योगों के लिए आवश्यक सड़क, बिजली, पानी, और अधोसंरचना सहित सुशासन के हर पैमाने में मध्य प्रदेश निवेशकों के लिए पहली पसंद बन रहा है।
औद्योगिक घरानों का भरोसा जीतने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है। सरकार ने सिंगल विंडो सिस्टम, बिना अनुमति उद्योग की स्थापना सहित जो वादे उद्योग जगत से किए हैं, उन्हें धरातल पर उतारा जा रहा है। हालांकि अब भी कुछ कमियां है, जैसे उद्योगों की स्थापना से जुड़े विभागों के अधिकारियों की कार्य संस्कृति में सुधार लाना पड़ेगा। ऐसा हुआ तो मध्य प्रदेश देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो जाएगा, जहां सर्वाधिक निवेश होता है।
मध्य प्रदेश में 10 साल में 30 लाख 13 हजार 41.607 करोड़ रुपये के 13 हजार 388 निवेश प्रस्ताव आए। इनमें तीन लाख 47 हजार 891.4039 करोड़ रुपये के 762 पूंजी निवेश हुए हैं। इन पूंजी निवेश से प्रदेश में दो लाख सात हजार 49 बेरोजगार को रोजगार मिला है। इसी तरह वर्ष 2007 से अक्टूबर 2016 तक आयोजित इन्वेस्टर समिट के आयोजन पर 50.84 करोड़ रुपये व्यय किए गए और 366 औद्योगिक इकाईयों को 1224 करोड़ रुपये की अनुदान राशि दी गई।