क्षत्रिय समाज को संवृद्धि का संदेश

Updated on 14-12-2023 01:24 PM
अपनी जाति से प्रेम करना जातिवाद नही है बल्कि दूसरी जाति से नफरत करना जातिवाद है। सत्य दर्पण होता है और कड़वा होता है। सत्य बहुत लोगो को पसंद नही आएगा। सत्य बोलने और सत्य के राह पर चलने वाला व्यक्ति ही सत्य पसंद करता है। सत्य लिखना और बोलना मेरी आदत - कर्तव्य है। सत्य ही समाज में क्रान्ति यानी न्याय की जंग से दूरी बनाए हुए सोये व्यक्ति को जगाता है यानी जागृति क्रांति है। अंततः सत्य संघर्ष के पथ पर चल कर कोई योद्धा विजय पताका लहराता है। 

देश के सभी सम्मानित क्षत्रिय योद्धा - भाईयो - वीरांगना बहनो को ह्रदय से चरण वंदन। देश भर के वीर भाई कभी भी क्षत्रिय समाज के सम्मान - स्वाभिमान और न्याय के लिए देश भर में 10 - 20 - 30 %  सड़कों पर निकल जाते है तो दुनिया देखती है और बोलती होगी की इतिहास के पन्नो में स्वर्ण अक्षरों से लिखित स्वाभिमानी - वीरता - त्याग - बलिदान - न्याय करने वाले महापुरूषों के वंशजो में आज भी शौर्य - वीरता जीवंत है। हम उन क्षत्रिय समाज के भाईयो से हाथ जोड़ कर कहना चाहता हूं जो घर बैठे अपने को राजपूत मानते है पर समाज के स्वाभिमान - न्याय की जंग में मौन रहते है या टीवी न्यूज़ या सोशल मीडिया पर केवल देखते रहते है, हाथ जोड़ कर पूछता हूं आप कब अपने क्षत्रित्व होने का प्रमाण देंगे ? 

जो भाई सड़को पर संघर्ष कर रहे है वे अपने लिए नही, “वे पूरे क्षत्रिय समाज के लिए संघर्ष कर रहे है“ संघर्ष करने वाले भाई चाहे तो आप लोगो के जैसा घर में बैठ कर अपना निजी कार्य या आराम कर सकते है। क्षत्रिय कुल में जन्म लेने या समाज में कहने से कोई सम्पूर्ण क्षत्रिय नही हो सकता है। क्षत्रिय अपने वचन - कर्म - संघर्ष - त्याग - वीरता - बलिदान - न्याय से क्षत्रिय होता है। वैसे कभी कभी कुछ अपवाद क्षत्रिय लोगो को कहते हुए सुनता रहता हूँ की हमको इस सब से मतलब नही रहता है यह संगठन वैगरह फ़ालतू का काम है यह कहने वाले मेरे क्षत्रिय भाईयो जान ले :- “चिताए उनकी भी जलते हुए देखा है जो मरने के डर से कभी लड़े नही“ घर में बैठे समीक्षा करने वाले स्वयं को क्षत्रिय मानने वाले मेरे भाईयो अगर अपना  वचन - संघर्ष - वीरता - त्याग - बलिदान वाला इतिहास भूल गए हो तो इजरायल से ही कुछ सीख लो अपने अस्तित्व और पहचान को बचाने के लिए विदेशो से नौकरी छोड़ कर इज़रायल युद्ध लड़ने आये है।

“युद्ध नहीं जिनके जीवन में, वो भी बड़े अभागे होंगे या तो प्रण को तोड़ा होगा, या फिर रण से भागे होंगे“ 

हम देश के सभी क्षत्रिय संगठनो से जुड़े कर्मठ - संघर्षशील भाईयो को ह्रदय से प्रणाम - आभार व्यक्त करता हु की समाज के सम्मान - न्याय की जंग में एकता के साथ संघर्ष करते हुए आवाज़ बुलंद करते रहते है। एकाध अपवाद को छोड़ कर देश भर में कुर्सी - पद के लालची स्वार्थी नेतावो से कहना चाहता हूं की क्षत्रिय समाज के सम्मान - न्याय की जंग में आपकी चुपी या धीमी आवाज़ स्वाभिमानी क्षत्रिय समाज को स्वीकार नही है। आप सभी की आवाज़ आरक्षण के मुद्दे पर भी नही खुलती है। 

समाज के सम्मान - न्याय के लिए नही खुलती है या कभी दबे स्वर में ज़ुबान खुलती है तो उससे कोई सामूहिक लाभ नही मिलता है , फिर क्षत्रिय समाज आप सभी की हमेशा जय जय कार क्यों करेगा। भले आप सभी स्वार्थी नेताओ के गिनती भर अंधभक्त समर्थक जय जय कार करते रहे गुणगान करते रहे पर स्वाभिमानी क्षत्रिय योद्धा गण और क्षत्रिय समाज जय जय कार नही करेगा। समाज के - सम्मान - स्वाभिमान और न्याय के लिए संघर्ष करने वाले भाईयो के बीच से हर राज्य में दस - बीस चेहरे को विचार - विमर्श से चयनित कर राजनीति में आना चाहिए। युवा या नये चेहरे में महाराणा प्रताप जैसा उदेश्य समाज की न्याय के लिए महल त्याग कर जंगल में रहने की भावना - वीरता निश्चित रहेगी। वे सभी हमेशा अपने क्षत्रिय समाज के स्वाभिमान - न्याय के लिए बुलंद आवाज़ रहेंगे और ज़रूरत पड़ने पर मंत्री पद , सांसदी , विधायक पद छोड़ सकते है। 

हाँ एक अड़चन आएगा की स्वार्थी राजनेता को यह अच्छा नही लगेगा और वे भांति भांति की चयनित राजनेताओ के राह में समस्या उत्पन्न करेंगे वैसे समाज सर्वपरि होता है। समाज से बड़ा कोई नही है। हर राज्य में एकाध नासमझ या अपने को बहुत चतुर - ज्ञानी समझने वाले, दिखावा करने वाले बड़बोले क्षत्रिय युवा चेहरे होते है वे समाज के युवाओ को दिग्भ्रमित करते रहते है वैसे चेहरे से समाज के युवा को सावधान - सतर्क रहना चाहिए। युवाओ को अपने माता - पिता का सम्मान और ख़्याल रखते हुए अपनी आर्थिक संवृद्धि पर ध्यान विशेष देना चाहिए। शिक्षा - रोज़गार - व्यापार - वैज्ञानिक खेती में विशेष रुचि दिखाना चाहिए। समाज को आपसी विवादों को समझौता से समाधान करना चाहिए। नशा मुक्त और दहेज मुक्त समाज को बढ़ावा देने पर सकारात्मक कार्य करना चाहिए। 

भाईयो यह बात अपने मस्तिष्क में बैठा ले की एकता में शक्ति है और एकजुटता ही रणनीतिक ताक़त है तथा राजनीतिक ताक़त ही लोकतंत्र में गौरवशाली पहचान है। 

मेरे भाईयो वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था में सता में मज़बूत पकड़ यानी उचित भागीदारी ही न्याय और सामाजिक संवृद्धि की सीढ़ी है। वीर क्षत्रिय भाईयो वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीति में अपने को मज़बूती से स्थापित रखना है तो अपने पूर्वजों के उच्च आदर्श विचारो के पथ पर चलकर सभी जाती समाज जो वर्तमान में वोट रूपी तलवार है वाणी - विचार एवं कार्यों से अधिक से अधिक अपने पक्ष में करना होगा। हर समाज में अच्छे - बुरे होते है। व्यक्ति बुरा हो सकता है प्रन्तु कोई पूरा समाज बुरा नही हो सकता है।

अंत में कहूँगा :- 

जो मौत को ललकारे - जो मौत से युद्ध लड़ के मौत पर विजय प्राप्त करे वो है राजपूत

                                                                                                                                                                                                                          मृत्युंजय कुमार सिंह
                                                                                                                                                                                                    अध्यक्ष – बिहार पुलिस एसोसिएशन



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