कृष्णमोहन झा/
सारी दुनिया में प्रतिवर्ष 15 जुलाई को विश्व युवा कौशल विकास दिवस मनाया जाता है ।2015में प्रारंभ हुआ यह सिलसिला 7 वर्षों से निरंतर जारी है। संयुक्त राष्ट्र ने 2015 मे इस संबंध में प्रस्ताव पारित कर सदस्य देशों से प्रतिवर्ष 15जुलाई को विश्व युवा कौशल विकास दिवस मनाने का आह्वान किया था।उसी के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में अपने प्रथम कार्यकाल के दूसरे वर्ष में ही भारत में 15 जुलाई को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय युवा कौशल विकास दिवस मनाए जाने की घोषणा की । उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने हेतु उनके कौशल विकास की दिशा में सक्रिय कदम उठाने प्रारंभ कर दिये थे उसी का परिणाम है कि सरकार की कौशल विकास योजनाओं का लाभ लेकर अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए युवा वर्ग में ललक बढ रही है। विश्व युवा कौशल विकास दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कौशल को अनमोल खजाना निरूपित करते हुए प्रधानमंत्री ने इसे राष्ट्रीय आवश्यकता के रूप में परिभाषित किया था जिसमें आत्मनिर्भर भारत का मजबूत आधार बनने की क्षमता है। प्रधानमंत्री ने कौशल को ऐसा उपहार बताया जो हम खुद को दे सकते हैं। कौशल अर्जित करके न केवल रोजगार प्राप्त किया जा सकता है बल्कि यह स्वयं को जीवंत और ऊर्जावान महसूस करने का माध्यम भी है। केंद्र सरकार के स्किल इंडिया मिशन के अंतर्गत कौशल प्राप्त करने,नया कौशल सीखने और अपने अंदर मौजूद कौशल को और निखारने के लिए विशाल अवसंरचना का निर्माण हुआ और देश भर में चल रहे सैकड़ों प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों ने पांच वर्षों में पांच करोड़ से अधिक युवाओं को कुशल बना दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कौशल विकास को गरीबी के खिलाफ जंग बताते हुए कहते हैं कि कौशल विकास का उद्देश्य केवल आर्थिक रूप से सक्षम बनना ही नहीं है बल्कि यह आत्म विश्वास पैदा करने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के स्किल इंडिया मिशन को डा बाबासाहेब अम्बेडकर के सपने को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर ने भी युवाओं और कमजोर वर्गों के कौशल विकास पर विशेष जोर दिया था।
युवाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के उद्देश्य से उनके कौशल विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा प्रारंभ योजनाओं के क्रियान्वयन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विभिन्न अवसरों पर दिए गए अपने उद्बोधनों में स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने की अपील करते हुए कहा है कि हमें ' स्व ' पर आधारित तंत्र पर निर्भर रहना सीखना होगा। कोरोना काल में अपने एक संदेश में संघ प्रमुख ने कहा था कि कोरोना संकट हमारे लिए स्वावलंबन का संदेश लेकर आया है। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले मानते हैं कि जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें अपने पैरों पर खड़ा होना होगा।आज भारत के युवाओं में यह आत्मविश्वास जागृत करने की आवश्यकता है कि वे कुछ भी कर सकते हैं। उनके अंदर दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत करने की सामर्थ्य मौजूद है। हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद और स्वदेशी स्वावलंबन न्याय के एक वेबिनार मे सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा था कि स्वदेशी का मतलब यह नहीं है कि हम दूसरे देशों के साथ संबंध नहीं रखें बल्कि यह है कि हम दूसरे देशों के साथ अपनी शर्तों पर व्यापार करें। होसबोले मानते हैं कि संगठित और सशक्त भारत के निर्माण हेतु हमें आत्मनिर्भर भारत बनाना होगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने युवाओं को बेरोजगारी की समस्या से निजात दिलाने की मंशा शुरू किए गए स्वावलंबी भारत अभियान का और प्रचार प्रसार और विस्तार करने का फैसला किया है।इसकी जिम्मेदारी स्वदेशी जागरण मंच को सौंपी गई है जिसे संघ का आर्थिक विभाग कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना 1991में संघ के सहयोगी पांच राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर नागपुर में कुशल संगठक स्व दत्तोपंत ठेंगड़ी ने की थी। स्थापना के प्रारंभिक काल में कुछ वर्षों तक स्वदेशी जागरण मंच की तत्कालीन केंद्रीय सरकारों के साथ कुछ मुद्दों पर टकराव की स्थिति भी निर्मित हुई परंतु केंंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद मंच और केंद्र सरकार के बीच अच्छा तालमेल बना हुआ है और सरकार की आर्थिक नीतियों पर मंच की विचारधारा के प्रभाव को भी परिलक्षित किया जा सकता है। अपने नाम के अनुरूप स्वदेशी जागरण मंच विगत तीन दशकों में आम जनता को स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल के प्रति जागरूक करने अभियान में बेहद सफल रहा है। स्वाबलंबी भारत अभियान में सहभागिता करने वाले सभी सहयोगी संगठनों के बीच समन्वय स्थापित करने की जिम्मेदारी ने स्वदेशी जागरण मंच की भूमिका को और महत्वपूर्ण बना दिया है। संघ के सह सरकार्यवाह डा कृष्ण गोपाल स्वावलंबी भारत अभियान के मार्गदर्शक हैं। नई दिल्ली में गत फरवरी माह में संघ के संबंधित आनुषंगिक संगठनों और सहयोगी संगठनों के 110 वरिष्ठ पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण में स्वावलंबी भारत अभियान की रूप रेखा तैयार की गई थी। इसके बाद मार्च में गुजरात में संपन्न संघ की अखिल भारतीय कार्यसमिति की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव पारित किया गया।
विगत दिनों राजस्थान के झुंझुनूं शहर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की जो तीन दिवसीय पूर्ण बैठक संपन्न हुई उसमें भी अन्य विषयों के अलावा स्वावलंबी भारत अभियान की प्रगति पर भी विस्तार से गहन मंत्रणा की गई । इस बैठक में संघ के सभी 11 क्षेत्रों के क्षेत्र प्रचारक, सह क्षेत्र प्रचारक और 45 प्रांतों के प्रचारक और सह प्रांत प्रचारकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। बैठक में सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। इस बैठक में यह तय किया गया था कि संघ के आर्थिक विभाग स्वदेशी जागरण मंच के द्वारा संघ के 11आनुषंगिक संगठनों और 8 सम वैचारिक संगठनों के सहयोग से 15 जुलाई को सारे विश्व में मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय युवा कौशल विकास दिवस से भारत में एक विशेष राष्ट्रव्यापी अभियान प्रारंभ किया जाएगा जो 31 अगस्त तक जारी रहेगा। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार इस कार्यक्रम में महाविद्यालयीन छात्र छात्राओं के साथ ही ग्राम पंचायतों और सेवा बस्तियों को जोड़ा जाएगा। उन्हें स्वावलंबी भारत अभियान के बारे में जानकारी प्रदान कर स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिए प्रेरित किया जाएगा।
जरूरतमंदों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाकर उन्हें स्वावलंबी बनाने की दिशा में जारी संघ के इस अभियान के प्रति लोगों में आकर्षण बढ़ रहा है। स्वदेशी जागरण मंच ने युवाओं को बेरोजगारी की समस्या से निजात दिलाने और उन्हें स्वरोजगार के लिए उनकी रुचि के काम में दक्ष बनाने के लिए देश के सभी 773 जिलों में उद्यमिता विकास केन्द्र स्थापित करने का भी फैसला किया है जिस पर अमल प्रारंभ किया जा चुका है। स्वदेशी जागरण मंच ने आगे चलकर पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की नियुक्ति करने का फैसला किया है । इसके अतिरिक्त स्वदेशी जागरण मंच ने पांच महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं जिन पर अमल करके स्वावलंबी अभियान को गतिशील बनाने में बेहद उपयोगी हैं ।ये सुझाव हैं ,लोग स्थानीय व स्वदेशी उत्पाद ही खरीदें, उत्पाद ही उद्यमी एवं स्वरोजगारी बनें, गौ आधारित जैविक खेती करें जिससे कि किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिले और लघु एवं कुटीर उद्योग व स्टार्ट अप शुरू करने के लिए लोग प्रोत्साहित हों , जल स्रोतों, जमीन व जानवरों की रक्षा करें और योग और स्वच्छता को प्राथमिकता प्रदान करें। स्वदेशी नीतियों के प्रति देश में सकारात्मक वातावरण निर्मित कर देश में विकास का स्वदेशी माडल निर्मित करने के उद्देश्य से स्वदेशी जागरण मंच ने एक डिजिटल हस्ताक्षर अभियान भी प्रारंभ किया है जिसका शुभारंभ मंच के राष्ट्रीय संयोजक आर सुंदरम ने गत 25 म ई को तमिलनाडु के मदुर ई शहर में किया। जो जहां है वहां से मात्र एक हस्ताक्षर के जरिए देश के करोड़ों लोगों को इस अभियान से जुड़ने का यह अच्छा अवसर है।
(लेखक IFWJ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष है)