कुश्ती संघ के चुनाव निरस्त करने का फैसला स्वागतेय

Updated on 26-12-2023 12:09 PM
कृष्णमोहन झा/

कुछ माह पूर्व जब केंद्र सरकार ने महिला कुश्ती खिलाड़ियों की यह मांग स्वीकार कर ली थी कि राष्ट्रीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद के चुनाव में पूर्व अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के परिवार के किसी सदस्य अथवा उनके किसी करीबी भाग  नहीं लेंगे तब ऐसा प्रतीत होने लगा था कि ब्रजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीडन का आरोप लगाने वाली महिला कुश्ती खिलाड़ियों को भविष्य में राष्ट्रीय कुश्ती संघ के विरुद्ध आंदोलन करने के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा परंतु दो दिन पहले जब ब्रजभूषण शरण सिंह के अत्यंत करीबी माने जाने वाले संजय सिंह राष्ट्रीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष निर्वाचित हो गए तो पूर्व पर यौन उत्पीडन का आरोप लगाने वाली महिला खिलाडियों में से एक साक्षी मलिक ने पत्रकारों के समक्ष आंसू बहाते हुए रुंधे गले से कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा कर दी और एक बार फिर वह मामला गरमा उठा जिसका कुछ महीने पहले सुखद पटाक्षेप हो जाने की उम्मीद व्यक्त की गई थी। साक्षी मलिक के समर्थन में एक अन्य कुश्ती खिलाड़ी बजरंग पूनिया ने उन्हें सरकार से अतीत में मिले पद्म सम्मान पद्मश्री लौटाने की घोषणा कर दी। इस पूरे मामले में सबसे आश्चर्यजनक बात यह रही कि साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया के फैसले से राष्ट्रीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के चेहरे पर कोई अफसोस दिखाई नहीं दिखाई दिया उल्टे उनके पक्ष से अहंकार भरा यह बयान दिया गया कि राष्ट्रीय कुश्ती संघ में उनका दबदबा जैसा पहले था वैसा ही आगे भी रहेगा। इस बयान के बाद महिला कुश्ती खिलाड़ियों के मन में यह  निराशा जन्म लेना स्वाभाविक था कि उन्हें अब न्याय मिलने की उम्मीद छोड़ देना चाहिए। ब्रजभूषण शरण सिंह भी यह मान चुके थे कि राष्ट्रीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद पर उनके करीबी संजय सिंह के निर्वाचित होने के बाद संघ पर उनका परोक्ष नियंत्रण बना रहेगा लेकिन केंद्रीय खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय कुश्ती संघ के नये चुनावों को निरस्त करने और नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह को निलंबित करने का जो  फैसला लिया है उससे ब्रजभूषण शरण सिंह हक्का बक्का रह गये हैं। वे यह सोच भी नहीं सकते थे कि सरकार तत्काल इस तरह के कठोर फैसला लेकर कुश्ती संघ में उनके दबदबे पर अंकुश लगाने से कोई परहेज़ नहीं करेगी। सरकार ने न केवल कुश्ती संघ के नये चुनाव रद्द कर दिए हैं बल्कि नये अध्यक्ष के सभी फैसलों पर भी रोक लगा दी है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय कुश्ती संघ के  अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने के बाद संजय सिंह ने गोंडा में जूनियर नेशनल कुश्ती स्पर्धा के आयोजन की घोषणा की थी लेकिन केंद्रीय खेल मंत्रालय के फैसले के बाद अब घोषित तिथियों पर उक्त स्पर्धा का आयोजन नहीं हो सकेगा। केंद्रीय खेल मंत्रालय का फैसला निःसंदेह स्वागतेय है और सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आगे जब राष्ट्रीय कुश्ती संघ के चुनाव कराए जाएं तो उस समय यौन उत्पीडन के आरोपी ब्रजभूषण शरण सिंह को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से अपना दबदबा साबित करने का मौका न मिल सके।  उन पर महिला कुश्ती खिलाड़ियों ने जो आरोप लगाए हैं वे गंभीर प्रकृति के हैं और उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती। उन आरोपों के आधार पर उनके विरुद्ध अदालत में सुनवाई भी चल रही है। अच्छा होता कि वे अपने करीबी का अध्यक्ष पद पर निर्वाचन में दिलचस्पी लेने के बजाय संघ की गतिविधियों से स्वयं को पूरी तरह अलग कर लेते।  राष्ट्रीय कुश्ती संघ में उनका वर्चस्व अगर महिला कुश्ती खिलाड़ियों को खेल से संन्यास लेने के लिए विवश करता है तो बेहतर यही होगा कि  राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का गौरव और मान सम्मान बढ़ाने वाली महिला खिलाडियों के भी मान सम्मान की सुरक्षा को संघ में उनके वर्चस्व के ऊपर तरजीह दी जाए। अगर राष्ट्रीय कुश्ती संघ के नये चुनावों को रद्द करने  के केंद्र सरकार के फैसले से संतुष्ट होकर महिला कुश्ती खिलाड़ी खेल से सन्यास लेने का फैसला वापस लेते हैं तो उनका स्वागत किया जाना चाहिए। अब यह उम्मीद भी की जानी चाहिए कि बजरंग पूनिया भी पद्मश्री सम्मान वापस करने का फैसला वापस लेने के सहर्ष तैयार हो जाएंगे। सभी साल भर से जारी एक अप्रिय विवाद के सुखद पटाक्षेप की आतुरता से प्रतीक्षा कर रहे हैं।
                                                                                                                                              (लेखक राजनैतिक विश्लेषक है)

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 29 April 2024
कृष्णमोहन झा/परम वैभव संपन्न राष्ट्र के निर्माण हेतु समर्पित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर यूं तो अनेक आरोप लगते रहे हैं परंतु संघ ने कभी भी आरोप प्रत्यारोप की राजनीति को…
 22 April 2024
कृष्णमोहन झा/देश के 25 से अधिक भाजपा विरोधी दलों ने गत वर्ष जो इंडिया गठबंधन बनाया था उसमें यूं तो शुरू से ही मतभेद उजागर होने लगे थे परन्तु उस…
 03 February 2024
कृष्णमोहन झा/केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण रमण ने गत दिवस संसद में जो अंतरिम आम बजट प्रस्तुत किया है उसमें उन्होंने कोई ऐसी लोकलुभावन घोषणाएं नहीं की जिनसे लोग यह…
 29 December 2023
कृष्णमोहन झालगभग दो माह पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में आयोजित परंपरागत विजयादशमी समारोह में अपने वार्षिक उद्बोधन में जब यह…
 26 December 2023
कृष्णमोहन झा/कुछ माह पूर्व जब केंद्र सरकार ने महिला कुश्ती खिलाड़ियों की यह मांग स्वीकार कर ली थी कि राष्ट्रीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद के चुनाव में पूर्व अध्यक्ष…
 14 December 2023
अपनी जाति से प्रेम करना जातिवाद नही है बल्कि दूसरी जाति से नफरत करना जातिवाद है। सत्य दर्पण होता है और कड़वा होता है। सत्य बहुत लोगो को पसंद नही…
 08 November 2023
दुनिया बनाने के बाद ईश्वर ने सोचा होगा इस दुनिया को और सुन्दर होना चाहिये, और उन्होंने सत्य की रचना की। सत्य याने मानव और मानव के दो रूप स्त्री…
 28 October 2023
वैश्विक परिद्रश्य में मानव की दो ही प्रजाति अधिक उल्लेखनीय रही है आर्य और अनार्य। अनेक विद्वानों ने भी अपनी परिभाषा देने में कोई कसर नही छोड़ी है। इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़…
 26 November 2022
- अतुल मलिकराम (राजनीतिक विश्लेषक)खुशियाँ बिखेरने के लिए अपनी खुशियाँ कैसे खुशी-खुशी कुर्बान कर देते हैं पापा"प्रकृति की उत्कृष्ट कृति पिता का दिल है" 'पिता' एक ऐसा शब्द है, जो हमेशा…
Advt.